About Me


सबसे पहले में भारतीय हूँ और उत्तराखंड {देवभूमि} मेरी जन्म भूमि हे ! बर्तमान में दिल्ली में हूँ जो मेरी कर्म भूमि है ! मैं अपनी मातृ-भूमि, पितृ-भूमि, धर्म-भूमि कर्म-भूमि उत्तराखंड से प्यार करता हूँ ! मुझे गर्व है के हमने अपनी इस भूमि मैं सब कुछ पाया है. समस्त देवताओं की तपोभूमि, अच्छे संस्कार, अच्छे माता- पिता, सीडीदार खेत, दादी माँ का वो पहनावा, वो पैतृक मकान, वो काफल का फल, वो बुरांस का फूल और ना जाने कितनी ही अमूल्य चीजें. क्या में इन्हें भूल सकता हूँ नहीं. और अगर भूल गए हो तो शायद मुझे अपनी सभ्यता से प्यार नहीं...

अब अपनी मातृ भूमि की क्या तारीफ़ करू ..........
सबसे पहले में भारतीय हूँ और उत्तराखंड {देवभूमि} मेरी जन्म भूमि हे ! बर्तमान में दिल्ली में हूँ जो मेरी कर्म भूमि है ! मैं अपनी मातृ-भूमि, पितृ-भूमि, धर्म-भूमि कर्म-भूमि उत्तराखंड से प्यार करता हूँ ! मुझे गर्व है के हमने अपनी इस भूमि मैं सब कुछ पाया है. समस्त देवताओं की तपोभूमि, अच्छे संस्कार, अच्छे माता- पिता, सीडीदार खेत, दादी माँ का वो पहनावा, वो पैतृक मकान, वो काफल का फल, वो बुरांस का फूल और ना जाने कितनी ही अमूल्य चीजें. क्या में इन्हें भूल सकता हूँ नहीं. और अगर भूल गए हो तो शायद मुझे अपनी सभ्यता से प्यार नहीं...



एक समान्‍य आदमी की तरह जिन्‍दगी जीने वाला, किन्‍तु सोच थोड़ा हट के। मित्रता कम ही करता हूँ जिससे करता हूँ, बिन्‍दास करता हूँ। सच में दोस्‍ती के मायने समझने की कोशिस कर रहा हूँ कि दोस्‍ती कहते किसे है?
१. आदर सम्मान दें और लें.
२. दोस्ती करें और दोस्ती निभाएं..
३. भावनाओं से ओत प्रोत हूँ आप भी रहे.
४. हमेशा आत्मविश्वास बनाये रखें काम
आएगा.
५. प्यार दिमाग से करें ना के किसी ब्यक्ति
विशेष से.
६. हमेशा सामने वाले की सीरत मैं झांकें
वो कैसा है...
७. दुखी इन्सान को प्यार करें, उसका दुःख
और ना बढाएं...
८. यहाँ कहाँ मजाल जो कुछ गुफ्तगू जीवन की मधुता तो आपके ऊपर है....
९. मैं हूँ तो क्या मैं हूँ, तू है तो क्या तू है



"समाँ" कह लो.................
"फूल" न कह सको तो "धूल" कह लो !
या धधकती रेत पर "पाँवों" के निशान कह लो !!
वैसे तो इस नाचीज़ को "मनोज " कहते हैं.......
मगर आपको हक़ है आप "कुछ और" कह लो !!!!
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हिम्मत को अपनी जवाँ रखते हैं,
कदमों तले हुस्न का जहाँ रखते हैं।
नसों में लहू,जुनून बनके दौड़ता है,
मुठ्ठी में ये धरती आसमाँ रखते हैं।

आँखो में एक ख्वाब,खुदी में जलजला,
हौसले का दिल में पूरा कारवाँ रखते हैं।
दिन जाने कहाँ बीते,रात कहाँ कटे,
उसके दर पे अपना आशियाँ रखते हैं।

अमीरों की बातों का भरोसा नही हमको,
कानों मे बस गरीबों की सिसकियाँ रखते हैं।
साथ गर चलना है तो कमर बाँध ले ऐ दोस्त,
हम आज कदम यहाँ तो कल वहाँ रखते हैं।

आँखो में अश्क आये तो पुकारना हमें,
सारे जहाँ का दर्द हम यहाँ (दिल)रखते हैं।
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मेरा दांडू कान्त्हू का मुलुक जईलेऊ ,
बशंत ऋतू माँ जेई

--------------------------- नरेन्द्र सिंह नेगी द्वारा

अपि स्वर्णमयी लंका ऩमैः लक्ष्मणः लोचते
जननी जन्मभूमिश्चः स्वर्गादपि गरियसी।
--------------- वाल्मीकि रचित रामायण से



कुछ राजनीति के बारे मैं ............................
राजनीति हर इंसान के अन्दर थोड़ा न थोड़ा, किसी न किसी रूप मैं छुपी रहती है. बस सही वक्त का इन्तजार करता है हर इन्सान का चरित्र. अतः राजनीति और राजनेताओं को कोसने से कोई फायदा नहीं क्योंकि राजनीति का अपना कोई चरित्र नहीं होता बल्कि इसका चरित्र उसका वरण करने वाले के चरित्र पर निर्भर करता है :

ये राम के लिए भक्ति का साधन थी,
तो कृष्ण के लिए युक्ति का साधन,
गांधी के लिए शक्ति का साधन थी,
तो सुभाष-भगत के लिए मुक्ति का साधन !!
पर अफ़सोस आज ये लोगों के सिर्फ़ सम्पति का साधन है....
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अर्थशास्त्र (Economics) सिर्फ़ एक line में समझा जा सकता है :
गरीब पैंसे के लिए काम करता है जबकि अमीर के लिए पैंसा काम करता है !!
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